स्वसमाज की विरासतों की देखभाल व स्वजनों के कल्याणकारी सहायता हेतु ऑनलाइन मदद पहुंचाने के उद्देश्य से एक पोर्टल व ऐप लॉन्च किये जाने की आवश्यकता है। इस वेब पोर्टल व ऐप के जरिए कोई भी अपनी इच्छानुसार स्वसमाज की आर्थिक सहायता के लिए इस कोष (ब्रह्मर्षि सौभरेय ब्राह्मण फंड) में दान दे सकता है।
इसके माध्यम से स्वसमाज के सातों सेंटरों (मथुरा, अलीगढ़/हाथरस, बरेली, सीतापुर, भिण्ड, जबलपुर, दिल्लीNCR) के खाते में वार्षिक 3-4 लाख तक की राशि भेजी जा सकेगी।ये एक ऐसा पोर्टल होगा जहाँ पर स्वजन अपनी इच्छानुसार आर्थिक सहयोग दे सकेंगे।
इस पहल के जरिये लोगों को एक-एक करके धन एकत्रित करने के लिए जो कहना पड़ता है तथा फिर उनके नाम से पर्ची काटने का दबाव बनाना पड़ता है, उससे छुटकारा मिलेगा क्योंकि बहुत लोग इस' अनैच्छिक व्यवहार' को कठघरे में खड़ा करते हैं, उन्हें लगता है कि किसी से ज्यादा पैसे लिये जा रहे हैं और किसी से कम साथ ही झूठी घोषणा करने वालों से भी बचा जा सकेगा ।
मान लो की हमारे स्वसमाज की जनसंख्या 2 लाख है और ये सब प्रतिव्यक्ति 10 रुपये भी सहयोग हेतु देते हैं तो 20 लाख रुपये व 100 करते हैं 20 करोड़ बडी आसानी से एकत्रित हो जाएंगेऔर इससे किसी की जेब पर भी ज्यादा खर्च नहीं आएगा और इन रुपयों के माध्यम से क्षेत्रीय स्वसामाजिक विकास कार्यों को पूरा किया जा सकता है । *इससे पहल के जरिये स्वसमाज के लोगों को जोड़ा जा सकता है, सबकी सहभागिता के तौर भी देखा जा सकता है । इस प्रक्रिया से उन लोगों से भी बचा जा सकेगा जो ज्यादा दान देते हों फिर उसके बाद उन्हें लगता हो कि हम ही समाज के सूत्रधार हैं और साथ ही वो लोग भी वंचित नहीं होंगे जो कहते हैं कि हमें कुछ पता ही नहीं । संग्रह के लिए पैसे की उगाही भले कम रुपयों में हो परन्तु सहभागिता सभी की नितांत आवश्यक है । तभी हम अधिक-अधिक स्वजनों को एक ही माला में सब बीज जैसे देख पाएंगे ।
इस फंड से यथासम्भव समाज के अभावग्रस्त विद्यार्थियों को उचित शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति/अध्ययन ऋण आदि की व्यवस्था हो सकेगी। इसके अतिरिक्त फंड से समाज में शिक्षा का प्रसार, प्रचार, कैरियर विकास, व्यक्तित्व विकास, सुसंस्कार एवं उत्तम शिष्टचार हेतु सामग्री प्रकाशन, शिविर, गोष्ठी इत्यादि का निरन्तर प्रयास हो सकेगा।
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सांसद निधि व विधायक निधि से हर समाज के उत्थान हेतु बारातघर, धर्मशाला, स्कूल व छात्रावास इत्यादि के लिये पैसा आवंटित किया जाता है। सरकारी योजनाओं के माध्यम से हम स्वसमाज (अंगिरसगोत्री सौभरेय ब्राह्मण समाज) के लिए इन कामों की अर्जी क्षेत्रवार वहाँ के निवासी (स्वजन) इकट्ठा होकर अपने विधायक व सांसद के लिये दे सकते हैं । इस योजना के तहत गाँवों के अलावा शहरों में भी अच्छी जगह पर जमींन अथवा भवन मुहैया कराया जाता है ।
जागरूक समाज इन योजनाओं का लाभ ले चुके हैं । अगर हम स्वसमाज की बात करें जहाँ हम बहुलता में रहते हैं वहाँ इन स्कूल व धर्मशाला इत्यादि का निर्माण होना चाहिए... जैसे यमुना के आर वाले गांवों में मथुरा, यमुना के पार वाले गाँवों में हाथरस या अलीगढ़, सीतापुर जिले के गाँवों के लिए सीतापुर , राजस्थान के गाँवों में अलवर अथवा जयपुर, और मध्यप्रदेश में ग्वालियर और जबलपुर ।
किसी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधान सभा व विधान परिषद सदस्य बदल सकते हैं लेकिन "आवंटन" निर्वाचन क्षेत्र के लिए होता है इसलिए इस योजना के अन्तर्गत निर्माणाधीन कार्य पर कार्रवाई निरन्तर जारी रखी जाती है । विधायक निधि के धन का का प्रयोग विधानसभा में विकास कार्यों का संचालन करने में होता है । विधायकों को हर साल 'विधायक निधि' आवंटित की जाती है, जिसका इस्तेमाल विधायक की सलाह पर जिला प्रशासन "विकास कार्यों" के लिए जारी करता है।
हालांकि स्वसमाज पूरी तरह से सम्पन्न है उन्हें किसी के सहारे की जरूरत नहीं लेकिन ये जो योजना वो सरकार की तरफ से है इसलिए यहाँ पर आपकी भागेदारी बनती है और इसका फायदा उठाना ही चाहिये ।
: अंगिरसगोत्री ब्राह्मण ओमन सौभरि भुर्रक (भरनाकलाँ)
इसके माध्यम से स्वसमाज के सातों सेंटरों (मथुरा, अलीगढ़/हाथरस, बरेली, सीतापुर, भिण्ड, जबलपुर, दिल्लीNCR) के खाते में वार्षिक 3-4 लाख तक की राशि भेजी जा सकेगी।ये एक ऐसा पोर्टल होगा जहाँ पर स्वजन अपनी इच्छानुसार आर्थिक सहयोग दे सकेंगे।
इस पहल के जरिये लोगों को एक-एक करके धन एकत्रित करने के लिए जो कहना पड़ता है तथा फिर उनके नाम से पर्ची काटने का दबाव बनाना पड़ता है, उससे छुटकारा मिलेगा क्योंकि बहुत लोग इस' अनैच्छिक व्यवहार' को कठघरे में खड़ा करते हैं, उन्हें लगता है कि किसी से ज्यादा पैसे लिये जा रहे हैं और किसी से कम साथ ही झूठी घोषणा करने वालों से भी बचा जा सकेगा ।
मान लो की हमारे स्वसमाज की जनसंख्या 2 लाख है और ये सब प्रतिव्यक्ति 10 रुपये भी सहयोग हेतु देते हैं तो 20 लाख रुपये व 100 करते हैं 20 करोड़ बडी आसानी से एकत्रित हो जाएंगेऔर इससे किसी की जेब पर भी ज्यादा खर्च नहीं आएगा और इन रुपयों के माध्यम से क्षेत्रीय स्वसामाजिक विकास कार्यों को पूरा किया जा सकता है । *इससे पहल के जरिये स्वसमाज के लोगों को जोड़ा जा सकता है, सबकी सहभागिता के तौर भी देखा जा सकता है । इस प्रक्रिया से उन लोगों से भी बचा जा सकेगा जो ज्यादा दान देते हों फिर उसके बाद उन्हें लगता हो कि हम ही समाज के सूत्रधार हैं और साथ ही वो लोग भी वंचित नहीं होंगे जो कहते हैं कि हमें कुछ पता ही नहीं । संग्रह के लिए पैसे की उगाही भले कम रुपयों में हो परन्तु सहभागिता सभी की नितांत आवश्यक है । तभी हम अधिक-अधिक स्वजनों को एक ही माला में सब बीज जैसे देख पाएंगे ।
इस फंड से यथासम्भव समाज के अभावग्रस्त विद्यार्थियों को उचित शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति/अध्ययन ऋण आदि की व्यवस्था हो सकेगी। इसके अतिरिक्त फंड से समाज में शिक्षा का प्रसार, प्रचार, कैरियर विकास, व्यक्तित्व विकास, सुसंस्कार एवं उत्तम शिष्टचार हेतु सामग्री प्रकाशन, शिविर, गोष्ठी इत्यादि का निरन्तर प्रयास हो सकेगा।
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सांसद निधि व विधायक निधि से हर समाज के उत्थान हेतु बारातघर, धर्मशाला, स्कूल व छात्रावास इत्यादि के लिये पैसा आवंटित किया जाता है। सरकारी योजनाओं के माध्यम से हम स्वसमाज (अंगिरसगोत्री सौभरेय ब्राह्मण समाज) के लिए इन कामों की अर्जी क्षेत्रवार वहाँ के निवासी (स्वजन) इकट्ठा होकर अपने विधायक व सांसद के लिये दे सकते हैं । इस योजना के तहत गाँवों के अलावा शहरों में भी अच्छी जगह पर जमींन अथवा भवन मुहैया कराया जाता है ।
जागरूक समाज इन योजनाओं का लाभ ले चुके हैं । अगर हम स्वसमाज की बात करें जहाँ हम बहुलता में रहते हैं वहाँ इन स्कूल व धर्मशाला इत्यादि का निर्माण होना चाहिए... जैसे यमुना के आर वाले गांवों में मथुरा, यमुना के पार वाले गाँवों में हाथरस या अलीगढ़, सीतापुर जिले के गाँवों के लिए सीतापुर , राजस्थान के गाँवों में अलवर अथवा जयपुर, और मध्यप्रदेश में ग्वालियर और जबलपुर ।
किसी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधान सभा व विधान परिषद सदस्य बदल सकते हैं लेकिन "आवंटन" निर्वाचन क्षेत्र के लिए होता है इसलिए इस योजना के अन्तर्गत निर्माणाधीन कार्य पर कार्रवाई निरन्तर जारी रखी जाती है । विधायक निधि के धन का का प्रयोग विधानसभा में विकास कार्यों का संचालन करने में होता है । विधायकों को हर साल 'विधायक निधि' आवंटित की जाती है, जिसका इस्तेमाल विधायक की सलाह पर जिला प्रशासन "विकास कार्यों" के लिए जारी करता है।
हालांकि स्वसमाज पूरी तरह से सम्पन्न है उन्हें किसी के सहारे की जरूरत नहीं लेकिन ये जो योजना वो सरकार की तरफ से है इसलिए यहाँ पर आपकी भागेदारी बनती है और इसका फायदा उठाना ही चाहिये ।
: अंगिरसगोत्री ब्राह्मण ओमन सौभरि भुर्रक (भरनाकलाँ)
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