Monday, 27 May 2024

आदिगौड़ सौभरेय अहिवासी ब्राह्मणों के अवंटक/उपगोत्र/अल्ल :-

 आदिगौड़ सौभरेय अहिवासी ब्राह्मणों के अवंटक/उपगोत्र/अल्ल :-




1- बादर

2- सोती (श्रोती) 

3- पचौरी

4-भाट (भटेले) 

5- पधान 

6- रतिवार 

7- गौदाने (गौदानी)

8- तगारे

9- दीगिया (दीक्षित)

10- नुक़्ते (बरगला)

11- भुर्रक 

12- रमैया

13- कुम्हेरिया

14- इटोईया

15- सीहइयाँ

16- सैंथरिया

17- बसइया

18- नदीसरिया 

19- बजरावत

20- परसैंया

21- करिया

22- नालौठिया

23- दुरकी

24- विहोन्याँ

25- ओखले

26- करौतिया

27- मुडिनिया

28- गागर

29- डामर

30- गलवले

 31- छिरा

32- जयन्तिया

33- डिड्रोइया

 34- तैसिये 

35- दुर्गवार

36- दिरहरे 

37- अझैयां

 38- नायक

 39- उमाड़िया

40- कांकर

41- रौसरिया

42- औगन

43- सिरौलिया

44- पलावार (पल्हा) 

45- सिकरोरिया

 46- रमैया

47-गलजीते 

48- किलकिले 

49- तागपुरिया

 50- काठ


साभार-  ओमन सौभरि भुरर्क, भरनाकलां, मथुरा

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साभार:- ओमन ब्रजवासी 


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ब्रजभाषा कोट्स 2

ब्रजभाषा कोट्स 3

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ब्रजभाषा शब्दकोश

आऔ ब्रज, ब्रजभाषा, ब्रज की संस्कृति कू बचामें

ब्रजभाषा लोकगीत व चुटकुले, ठट्ठे - हांसी

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Thursday, 2 May 2024

राष्ट्रीय पुष्प कमल की महिमा

 कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। संस्कृत में कमल के अन्य नाम हैं - पद्म, पंकज, पंकरुह, सरसिज, सरोज, सरोरुह, सरसीरुह, जलज, जलजात, नीरज, वारिज, अंभोरुह, अंबुज, अंभोज, अब्ज, अरविंद, नलिन, उत्पल, पुंडरीक, तामरस, इंदीवर, कुवलय, वनज आदि आदि। 



भारत की पौराणिक गाथाओं में कमल का विशेष स्थान है। पुराणों में ब्रह्मा को विष्णु की नाभि से निकले हुए कमल से उत्पन्न बताया गया है और लक्ष्मी को पद्मा, कमला और कमलासना कहा गया है। चतुर्भुज विष्णु को शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण करने वाला माना जाता है। भारतीय मंदिरों में स्थान-स्थान पर कमल के चित्र अथवा संकेत पाए जाते हैं। भगवान्‌ बुद्ध की जितनी मूर्तियाँ मिली हैं, प्राय: सभी में उन्हें कमल पर आसीन दिखाया गया है। क्योंकि कमल बिना किसी दाग ​​के कीचड़ से उगते हैं, इसलिए उन्हें अक्सर पवित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। कमल का पौधा उगाने के लिये मानसून का मौसम सबसे अच्छा रहता है, क्योंकि बारिश के बीच कमल के पौधे अच्छे से ग्रो कर जाते हैं ।


▪️पद्मालयां पद्मकरां पद्मपत्रनिभेक्षणाम्

     वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥

अर्थ - विष्णु पुराण में इन्द्र द्वारा लक्ष्मी की स्तुति करते हुए कहा गया है- कमल के आसन वाली, कमल जैसे हाथों वाली, कमल के पत्तों जैसी आँखों वाली, हे पद्म (कमल) मुखी, पद्मनाभ (भगवान विष्णु) की प्रिय देवी, मैं आपकी वन्दना करता हूँ।

▪️एक पुराण का नाम ही पद्म पुराण है, ऐसा कहा जाता है कि पदम का अर्थ है-‘कमल का पुष्प’। चूंकि इसमें सृष्टि रचयिता ब्रह्माजी ने भगवान नारायण के नाभि कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पदम पुराण की संज्ञा दी गई है।

▪️ महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित सभी अठारह पुराणों की गणना में ‘पदम पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी इसे द्वितीय स्थान रखा जाता है।

▪️भारत की राजधानी दिल्ली में बने बहाई उपासना मंदिर का स्थापत्य पूरी तरह से खिलते हुए कमल के आकार पर आधारित है जिसके कारण इसे लोटस टेंपल भी कहते हैं।

▪️संस्कृत - सलिले हंस हसे कमलम् कमले तिष्ठति सरस्वति।

हिंदी अनुवाद → नीर में हंस है, हंस में कमल है, और कमल में स्वरस्वती माँ विराजती हैं।


साभार-  ओमन सौभरि भुरर्क, भरनाकलां, मथुरा

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अखंड या बृहद भारत अर्थात वैदिक भारतवर्ष

 अखंड भारत अर्थात वैदिक भारतवर्ष:- 





आज की इस पीढ़ी को न तो वेदों के बारे में पता है न ही महाग्रंथों के बारे में और न ही पुराणों के बारे में। उपनिषद का तो नाम भी मुश्किल से ही सुना होगा।

भारत कोई 70 वर्ष पुराना देश नहीं है। यह हजारों वर्षों पुरानी एक सभ्यता है जिसकी पहचान भौगोलिक अवस्थिति से होती है। भारत के रहने वाले इतने पुराने है कि इसे सनातन यानि जो सदा से यानि अविरल समय से चला आ रहा है।

विष्णु पुराण में स्पष्ट लिखा है :-

उत्तरं यत समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणं।

वर्ष तद भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः।।

इसका अर्थ यह है कि “समुद्र के उत्तर से ले कर हिमालय के दक्षिण में जो देश है वही भारत है और यहाँ के लोग भारतीय हैं ।

ब्रह्म पुराण, अध्याय 18 में जम्बूद्वीप के महान होने का प्रतिपादन है-

तपस्तप्यन्ति यताये जुह्वते चात्र याज्विन।।

दानाभि चात्र दीयन्ते परलोकार्थ मादरात्॥ 21॥

पुरुषैयज्ञ पुरुषो जम्बूद्वीपे सदेज्यते।।

यज्ञोर्यज्ञमयोविष्णु रम्य द्वीपेसु चान्यथा॥ 22॥

अत्रापि भारतश्रेष्ठ जम्बूद्वीपे महामुने।।

यतो कर्म भूरेषा यधाऽन्या भोग भूमयः॥23॥

अर्थात भारत भूमि में लोग तपश्चर्या करते हैं, यज्ञ करने वाले हवन करते हैं तथा परलोक के लिए आदरपूर्वक दान भी देते हैं। जम्बूद्वीप में सत्पुरुषों के द्वारा यज्ञ भगवान् का यजन हुआ करता है। यज्ञों के कारण यज्ञ पुरुष भगवान् जम्बूद्वीप में ही निवास करते हैं। इस जम्बूद्वीप में भारतवर्ष श्रेष्ठ है। यज्ञों की प्रधानता के कारण इसे (भारत को) को कर्मभूमि तथा और अन्य द्वीपों को भोग- भूमि कहते हैं।

 इसी तरह अगर शक्तिपीठों का भौगोलिक स्थिति देखे तो वे बलूचिस्तान से लेकर त्रिपुरा, कश्मीर से कन्याकुमारी / जाफना तक फैले हुए हैं। यह एक बनावटी स्थिति नहीं है।

इतना ही नहीं जब हम अपने घरों में पुजा अर्चना के दौरान संकल्प लेते है तो उस दौरान प्रयोग में लाया जाने वाला मंत्र भी यही कहता है, जम्बू द्वीपे भारतखंडे आर्याव्रत देशांतर्गते। इस पंक्ति में मनुष्य के रहने के स्थान तथा उसके बारे में जानकारी दी जाती है जो पूजा करा रहा है।

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ईरान – ईरान में आर्य संस्कृति का उद्भव 2000 ई. पू. उस वक्त हुआ जब ब्लूचिस्तान के मार्ग से आर्य ईरान पहुंचे और अपनी सभ्यता व संस्कृति का प्रचार वहां किया। उन्हीं के नाम पर इस देश का नाम आर्याना पड़ा। 644 ई. में अरबों ने ईरान पर आक्रमण कर उसे जीत लिया।

कम्बोडिया – प्रथम शताब्दी में कौंडिन्य नामक एक ब्राह्मण ने हिन्दचीन में हिन्दू राज्य की स्थापना की।

वियतनाम – वियतनाम का पुराना नाम चम्पा था। दूसरी शताब्दी में स्थापित चम्पा भारतीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र था। यहां के चम लोगों ने भारतीय धर्म, भाषा, सभ्यता ग्रहण की थी। 1825 में चम्पा के महान हिन्दू राज्य का अन्त हुआ।

मलेशिया – प्रथम शताब्दी में साहसी भारतीयों ने मलेशिया पहुंचकर वहां के निवासियों को भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से परिचित करवाया। कालान्तर में मलेशिया में शैव, वैष्णव तथा बौद्ध धर्म का प्रचलन हो गया। 1948 में अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हो यह सम्प्रभुता सम्पन्न राज्य बना।

इण्डोनेशिया – इण्डोनिशिया किसी समय में भारत का एक सम्पन्न राज्य था। आज इण्डोनेशिया में बाली द्वीप को छोड़कर शेष सभी द्वीपों पर मुसलमान बहुसंख्यक हैं। फिर भी हिन्दू देवी-देवताओं से यहां का जनमानस आज भी परंपराओं के माधयम से जुड़ा है।

फिलीपींस – फिलीपींस में किसी समय भारतीय संस्कृति का पूर्ण प्रभाव था पर 15वीं शताब्दी में मुसलमानों ने आक्रमण कर वहां आधिपत्य जमा लिया। आज भी फिलीपींस में कुछ हिन्दू रीति-रिवाज प्रचलित हैं।

लाओस, थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रूनेई, मालदीव - 

अफगानिस्तान – अफगानिस्तान 350 इ.पू. तक भारत का एक अंग था। सातवीं शताब्दी में इस्लाम के आगमन के बाद अफगानिस्तान धीरे-धीरे राजनीतिक और बाद में सांस्कृतिक रूप से भारत से अलग हो गया।

नेपाल – विश्व का एक मात्र हिन्दू राज्य है, जिसका एकीकरण गोरखा राजा ने 1769 ई. में किया था। पूर्व में यह प्राय: भारतीय राज्यों का ही अंग रहा।

भूटान – प्राचीन काल में भूटान भद्र देश के नाम से जाना जाता था। 8 अगस्त 1949 में भारत-भूटान संधि हुई जिससे स्वतंत्र प्रभुता सम्पन्न भूटान की पहचान बनी।

तिब्बत – तिब्बत का उल्लेख हमारे ग्रन्थों में त्रिविष्टप के नाम से आता है। यहां बौद्ध धर्म का प्रचार चौथी शताब्दी में शुरू हुआ। तिब्बत प्राचीन भारत के सांस्कृतिक प्रभाव क्षेत्र में था। भारतीय शासकों की अदूरदर्शिता के कारण चीन ने 1957 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया।

श्रीलंका – श्रीलंका का प्राचीन नाम ताम्रपर्णी था। श्रीलंका भारत का प्रमुख अंग था। 1505 में पुर्तगाली, 1606 में डच और 1795 में अंग्रेजों ने लंका

पर अधिकार किया। 1935 ई. में अंग्रेजों ने लंका को भारत से अलग कर दिया।

म्यांमार (बर्मा) – अराकान की अनुश्रुतियों के अनुसार यहां का प्रथम राजा वाराणसी का एक राजकुमार था। 1852 में अंग्रेजों का बर्मा पर अधिकार हो गया। 1937 में भारत से इसे अलग कर दिया गया।

पाकिस्तान – 15 अगस्त, 1947 के पहले पाकिस्तान भारत का एक अंग था।

बांग्लादेश – बांग्लादेश भी 15 अगस्त 1947 के पहले भारत का अंग था। देश विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान के रूप में यह भारत से अलग हो गया। 1971 में यह पाकिस्तान से भी अलग हो गया ।






साभार-  ओमन सौभरि भुरर्क, भरनाकलां, मथुरा

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