कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। संस्कृत में कमल के अन्य नाम हैं - पद्म, पंकज, पंकरुह, सरसिज, सरोज, सरोरुह, सरसीरुह, जलज, जलजात, नीरज, वारिज, अंभोरुह, अंबुज, अंभोज, अब्ज, अरविंद, नलिन, उत्पल, पुंडरीक, तामरस, इंदीवर, कुवलय, वनज आदि आदि।
भारत की पौराणिक गाथाओं में कमल का विशेष स्थान है। पुराणों में ब्रह्मा को विष्णु की नाभि से निकले हुए कमल से उत्पन्न बताया गया है और लक्ष्मी को पद्मा, कमला और कमलासना कहा गया है। चतुर्भुज विष्णु को शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण करने वाला माना जाता है। भारतीय मंदिरों में स्थान-स्थान पर कमल के चित्र अथवा संकेत पाए जाते हैं। भगवान् बुद्ध की जितनी मूर्तियाँ मिली हैं, प्राय: सभी में उन्हें कमल पर आसीन दिखाया गया है। क्योंकि कमल बिना किसी दाग के कीचड़ से उगते हैं, इसलिए उन्हें अक्सर पवित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। कमल का पौधा उगाने के लिये मानसून का मौसम सबसे अच्छा रहता है, क्योंकि बारिश के बीच कमल के पौधे अच्छे से ग्रो कर जाते हैं ।
▪️पद्मालयां पद्मकरां पद्मपत्रनिभेक्षणाम्
वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम्॥
अर्थ - विष्णु पुराण में इन्द्र द्वारा लक्ष्मी की स्तुति करते हुए कहा गया है- कमल के आसन वाली, कमल जैसे हाथों वाली, कमल के पत्तों जैसी आँखों वाली, हे पद्म (कमल) मुखी, पद्मनाभ (भगवान विष्णु) की प्रिय देवी, मैं आपकी वन्दना करता हूँ।
▪️एक पुराण का नाम ही पद्म पुराण है, ऐसा कहा जाता है कि पदम का अर्थ है-‘कमल का पुष्प’। चूंकि इसमें सृष्टि रचयिता ब्रह्माजी ने भगवान नारायण के नाभि कमल से उत्पन्न होकर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञान का विस्तार किया था, इसलिए इस पुराण को पदम पुराण की संज्ञा दी गई है।
▪️ महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित सभी अठारह पुराणों की गणना में ‘पदम पुराण’ को द्वितीय स्थान प्राप्त है। श्लोक संख्या की दृष्टि से भी इसे द्वितीय स्थान रखा जाता है।
▪️भारत की राजधानी दिल्ली में बने बहाई उपासना मंदिर का स्थापत्य पूरी तरह से खिलते हुए कमल के आकार पर आधारित है जिसके कारण इसे लोटस टेंपल भी कहते हैं।
▪️संस्कृत - सलिले हंस हसे कमलम् कमले तिष्ठति सरस्वति।
हिंदी अनुवाद → नीर में हंस है, हंस में कमल है, और कमल में स्वरस्वती माँ विराजती हैं।
साभार- ओमन सौभरि भुरर्क, भरनाकलां, मथुरा
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