Monday, 3 June 2024

माता के शक्तिपीठ व स्थानों के नाम

माता के शक्तिपीठ-

भारत भूमि तथा अन्य देशों में माता के शक्तिपीठों की संख्या व स्थान:- 



उत्तर प्रदेश राज्य- 

 मणिकर्णिका घाट, वाराणसी - यहां माता सती की मणिकर्णिका गिरी थी। यहां माता के विशालाक्षी और मणिकर्णी स्वरूप की पूजा होती है।

माता ललिता देवी शक्तिपीठ, प्रयागराज - इलाहाबाद स्थित इस जगह पर माता सती के हाथ की अंगुली गिरी थी। यहां माता ललिता के नाम से जानी जाती हैं। 

रामगिरी, चित्रकूट में माता सती का दायां स्तन गिरा था। इस स्थान पर माता शिवानी के रूप में पूज्यनीय हैं।

वृंदावन में उमा शक्तिपीठ स्थित है। इसे कात्यायनी शक्तिपीठ के नाम से भी जानते हैं। यहां माता के बाल के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे।

देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर में माता का बायां स्कंध गिरा था। इस शक्तिपीठ में माता मातेश्वरी के रूप में विराजमान हैं।

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बिहार- 

मिथिला शक्तिपीठ- भारत नेपाल सीमा पर माता सती का बायां कंधा गिरा था। यहां माता को देवी उमा कहा जाता है।

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 मध्यप्रदेश - 

 हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ- मध्य प्रदेश में देवी के दो शक्तिपीठ हैं। इनमें से एक हरसिद्धी देवी शक्तिपीठ है, जहां माता सती की कोहनी गिरी थी। यह रूद्र सागर तालाब के पश्चिमी तट पर स्थित है।

 शोणदेव नर्मता शक्तिपीठ- मध्यप्रदेश के अमरकंटक में माता का दया नितंब गिरा था। यहां पर नर्मदा नदी का उद्गम होने के कारण यहां माता को नर्मता स्वरूप में पूजा जाता है।

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हिमाचल प्रदेश - 

नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में शिवालिक पर्वत पर देवी सती की आंख गिरी थी। यहां माता देवी महिष मर्दिनी कही जाती हैं। 

ज्वाला जी शक्तिपीठ-  हिमाचल के कांगड़ा में देवी की जीभ गिरी थी, इस कारण इसका नाम सिधिदा या अंबिका पड़ा।

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 पंजाब - 

त्रिपुरमालिनी माता शक्तिपीठ- पंजाब के जालंधर में छावनी स्टेशन के पास माता का बायां स्तर गिरा था। 

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जम्मू कश्मीर - 

 अमरनाथ के पहलगांव, कश्मीर में माता सती का गला गिरा था, यहां महामाया की पूजा होती है।

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हरियाणा - 

हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता के पैर की एड़ी गिरी थी। यहां माता सावित्री का शक्तिपीठ स्थित है।

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राजस्थान - 

मणिबंध- अजमेर के पुष्कर में गायत्री पर्वत पर माता सती की दो पहुंचियां गिरी थीं। यहां माता के गायत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। 

बिरात- राजस्थान में माता अंबिका का मंदिर है। यहां माता सती के बाएं पैर की उंगलियां गिरी ।

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गुजरात - 

 अंबाजी मंदिर- गुजरात में माता अम्बाजी का मंदिर है। मान्यता है कि यहां माता का हृदय गिरा था।

गुजरात के जूनागढ़ में देवी सती का आमाशय गिरा था। यहां माता को चंद्रभागा के नाम से जाना जाता है।

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महाराष्ट्र - 

महाराष्ट्र के जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी। उसके बाद यहां देवी के भ्रामरी स्वरूप की पूजा होने लगी। 

माताबाढ़ी पर्वत शिखर शक्तिपीठ त्रिपुरा में उदरपुर के राधाकिशोरपुर गांव में है। इस स्थान पर माता का दायां पैर गिरा था। यहां माता को देवी त्रिपुर सुंदरी कहलाती हैं।

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 पश्चिम बंगाल - 

यहां पूर्व मेदिनीपुर जिले के तामलुक स्थित विभाष में देवी कपालिनी का मंदिर है। यहां माता की बायीं एड़ी गिरी थी।

बंगाल के हुगली में रत्नावली में माता सती का दायां कंधा गिरा था। इस मंदिर में माता को देवी कुमारी नाम से पुकारा जाता है। 

 मुर्शीदाबाद के किरीटकोण ग्राम में देवी सती का मुकुट गिरा था। यहां माता का शक्तिपीठ है और माता के विमला स्वरूप की पूजा की जाती है।

जलपाइगुड़ी के बोडा मंडल में सालबाढ़ी गांव में माता का बायां पैर गिरा था। इस स्थान पर माता के भ्रामरी देवी के रूप की पूजा की जाती है।

बहुला देवी शक्तिपीठ- वर्धमान जिले के केतुग्राम इलाके में माता सती का बायां हाथ गिरा था। 

 मंगल चंद्रिका माता शक्तिपीठ - वर्धमान जिले के उज्जनि में माता का शक्तिपीठ है। यहां माता की दायीं कलाई गिरी थी। 

पश्चिम बंगाल के वक्रेश्वर में देवी सती का भ्रूमध्य गिरा था। इस स्थान पर माता को महिषमर्दिनी कहा जाता है। 

नलहाटी शक्तिपीठ- बीरभूम के नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी। 

 फुल्लारा देवी शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के अट्टहास में माता सती के होंठ गिरे थे। यहां माता फुल्लारा देवी कहलाती हैं। 

नंदीपुर शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल में माता सती का हार गिरा था। यहां मां नंदनी की पूजा की जाती है। 

युगाधा शक्तिपीठ- वर्धमान जिले के ही क्षीरग्राम में माता के दायें हाथ का अंगूठा गिरा। इस स्थान पर माता का शक्तिपीठ बन गया, जहां उन्हें देवी जुगाड्या के नाम से पुकारा जाता है। 

कलिका देवी शक्तिपीठ-मान्यताओं के मुताबिक, कालीघाट में माता के दाएं पैर की अंगूठा गिरा था। वे मां कालिका के नाम से यहां जानी जाती हैं।

कांची देवगर्भ शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के कांची में देवी की अस्थि गिरी थीं। यहां माता देवगर्भ रूप में स्थापित हैं।

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असम - 

 कामाख्या शक्तपीठ- प्रसिद्ध शक्तिपीठों में गुवाहाटी के नीलांतल पर्वत पर स्थित कामाख्या जी है। कामाख्या में माता की योनि गिरी थी। यहां माता के कामाख्या स्वरूप की पूजा होती है।

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दक्षिण भारत - 

तमिलनाडु -  

भद्रकाली शक्तिपीठ- तमिलनाडु में माता की पीठ गिरी थी। इस स्थान पर माता का कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर और कुमारी मंदिर स्थित है। उन्हें श्रवणी नाम से पुकारा जाता है।

शुचि शक्तिपीठ- तमिलनाडु में कन्याकुमारी के पास शुचि तीर्थम शिव मंदिर स्थित है। यहां भी माता का शक्तिपीठ है, जहां उनकी ऊपरी दाढ़ गिरी थी। माता को यहां नारायणी नाम मिली है। 

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उड़ीसा - 

 विमला देवी शक्तिपीठ- उड़ीसा के उत्कल में देवी की नाभि गिरी थी। यहां माता विमला नाम से जानी जाती हैं।

आंध्रप्रदेश - 

सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ-आंध्र प्रदेश में दो शक्तिपीठ हैं। एक सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ, जहां माता के गाल गिरे थे। इस स्थान पर भक्त माता के राकिनी और विश्वेश्वरी स्वरूप की पूजा करते हैं।

श्रीशैलम शक्तिपीठ-आंध्र में ही दूसरी शक्तिपीठ कुर्नूर जिले में है। श्रीशैलम शक्तिपीठ में माता सती के दाएं पैर की पायल गिरी थी। यहां माता श्री सुंदरी के नास में स्थापित हैं। 

कर्नाटक

 कर्नाटक शक्तिपीठ- कर्नाटक में देवी सती के दोनों कान गिरे थे। इस स्थान पर माता का जय दुर्गा स्वरूप पूज्यनीय है।

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भारत से बाहर शक्तिपीठ- 

बांग्लादेश - 

चट्टल भवानी शक्तिपीठ- बांग्लादेश के चिट्टागौंग जिले में चंद्रनाथ पर्वत पर चट्टल भवानी शक्तिपीठ है। यहां माता सती की दायीं भुजा गिरी थी।

सुगंधा शक्तिपीठ- बांग्लादेश के शिकारपुर से 20 किमी दूर माता की नासिका गिरी थी। इस शक्तिपीठ में माता को सुगंधा कहा जाता है। इस शक्तिपीठ का एक अन्य नाम उग्रतारा शक्तिपीठ है।

 जयंती शक्तिपीठ -बांग्लादेश के सिलहट जिले में जयंतिया परगना में माता की बाईं जांघ गिरी थी। यहां माता देवी जयंती नाम से स्थापित हैं।

श्रीशैल महालक्ष्मी -बांग्लादेश के सिलहट जिले में माता सती का गला गिला था। इस शक्तिपीठ में महालक्ष्मी स्वरूप की पूजा होती है।

यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ -बांग्लादेश के खुलना जिले में यशोर नाम की जगह है, जहां मां सती की बाईं हथेली गिरी थी।

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श्रीलंका - 

 इन्द्राक्षी शक्तिपीठ- श्रीलंका के जाफना नल्लूर में देवी की पायल गिरी ती। इस शक्तिपीठ को इन्द्राक्षी कहा जाता है। 

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नेपाल - 

 गुहेश्वरी शक्तिपीठ- नेपाल मे पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के किनारे यह शक्तिपीठ है। यहां मां सती के दोनों घुटने गिरे थे। यहां शक्ति के महामाया या महाशिरा रूप की पूजा होती है।

आद्या शक्तिपीठ- नेपाल में गंडक नदी के पास आद्या शक्तिपीठ है। मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती का बायां गाल गिरा था। यहां माता के गंडकी चंड़ी स्वरूप की पूजा होती है।

दंतकाली शक्तिपीठ- नेपाल के बिजयापुर गांव में माता सती के दांत गिरे थे। इस कारण इस शक्तिपीठ को दन्तकाली शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।

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तिब्बत - 

 मनसा शक्तिपीठ- तिब्बत में मानसरोवर नदी के पास माता सती की दाईं हथेली गिरी थी। यहां उन्हें माता दाक्षायनी कहा जाता है। माता यहां एक शिला के रूप में स्थापित हैं। 

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पाकिस्तान

हिंगुलाज शक्तिपीठ- पाकिस्तान के बलूचिस्तान में देवी का हिंगुला शक्तिपीठ है। इस शक्तिपीठ में माता को हिंगलाज देवी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यहां माता सती का सिर गिरा था।


साभार-  ओमन सौभरि भुरर्क, भरनाकलां, मथुरा

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